शुक्रवार, अप्रैल 06, 2012

कुछ टूटे दिलों की दास्तान......

किसी का यूं अचानक 
ज़िन्दगी की राह में मिल जाना
कुछ बातें - मुलाकातें और
एक नशे की तरह 
दिलोदिमाग पर छा जाना....
और यूं लगने लगना कि
जैसे वो नहीं तो कुछ नहीं,
न सुबह - न दिन - न रात
सब कुछ उसी से शुरू और
उसी पर ख़त्म हो जाना......
फिर अचानक एक दिन
हालात का करवट बदलना,
साथ ही दो दिलों में 
तमाम जज़्बात का बदलना....
और एकाएक बहुत से
रहस्यों पर से परदे का उठना,
अपने पैरों के नीचे से 
जैसे जमीन का खिसकना....
पता ये चलना कि
वहाँ उस दिल में
नहीं रहते हो सिर्फ तुम ही,
वहाँ उन आँखों में नहीं
बसा करते हो सिर्फ तुम ही.....
बल्कि रहा करता है 
पूरा एक शहर - पूरा एक जहान,
अब होता है शुरू अपने ही
दिल में विचारों का घमासान,
हो जाती हैं अपने आप दूरियां
न चाहते हुए भी मजबूरिया.....
और हो जाती हैं दो राहें जुदा
दूर हो जाते हैं दो दिल
अलग हो जाती हैं दो जिंदगियां,
कौन सही - कौन गलत
नहीं समझ आती ये बारीकियां....
क्योंकि सबकुछ होता है अपनेआप
घटती हैं घटनाएं अपनेआप
और रह जाते हैं नाचते मंच पर
किसी कठपुतली की तरह दोनों
अलग - अलग - दूर - दूर.....
होता है कुछ ऐसा ही तमाम
उन धड़कते दिलों के साथ,
जो हुआ करते थे कभी साथ - साथ
और दिखते हैं खिंचे - खिंचे से आज....

- VISHAAL CHARCHCHIT

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