बुधवार, सितंबर 28, 2011

हे नारी तू सागर है....

हे नारी तू सागर है
जहां नदियाँ मिलतीं आकर हैं
पुरुष समझता आधा - पौना
कहता घरेलू गागर है.....
जिसने भाँप लिया रत्नों को
तेरे आँचल के साए में,
समझो सही अर्थ में उसका
देवी - देवताओं का घर है.....

1 टिप्पणी:

  1. सुन्दर प्रस्तुति ||
    माँ की कृपा बनी रहे ||

    http://dcgpthravikar.blogspot.com/2011/09/blog-post_26.html

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